जिदगी से बडा सबक और कौन सिखला सकता है ।? कल क्या हुआ था ,यह मत सोचो आज क्या करना है ,यहअधिक महत्व रखता है । बीति ताहि बिसार देआगे की सुध लेय .
Thursday, October 1, 2009
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स्मृति को पाथेय बनाकर जीवनपथ तय करने दो वातायन से झाँक-झाँक कर अतीत-दव्रार को खुलने दो
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