औरतें कभी नहीं कह पातीं
दिल में जो सोचती हैं
कभी नहीं कर पाती ऐसे काम
जो उनका मन चाहता है
जीती हैं बस बिना किसी शर्त के
ताउम्र करती हैं बस समझौते
खुश होती रहती हैं यह देख कर
उनकी दुनिया के सभी लोग कितने खुश हैं
Monday, October 18, 2010
Sunday, August 15, 2010
सुक
सुख के दो पल
कथा-क्रम में सत्ता-परिवर्तन कविता छपी है ,बहुत खुशी हुई है। बहुत दिनों बाद यह अनुभूति प्राप्त हु ई है आप भी पढें ,प्रतिक्रिया भी दें ,अच्छा लगेगा .
कथा-क्रम में सत्ता-परिवर्तन कविता छपी है ,बहुत खुशी हुई है। बहुत दिनों बाद यह अनुभूति प्राप्त हु ई है आप भी पढें ,प्रतिक्रिया भी दें ,अच्छा लगेगा .
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