सुख के दो पल
कथा-क्रम में सत्ता-परिवर्तन कविता छपी है ,बहुत खुशी हुई है। बहुत दिनों बाद यह अनुभूति प्राप्त हु ई है आप भी पढें ,प्रतिक्रिया भी दें ,अच्छा लगेगा .
Sunday, August 15, 2010
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स्मृति को पाथेय बनाकर जीवनपथ तय करने दो वातायन से झाँक-झाँक कर अतीत-दव्रार को खुलने दो